Desk: 9 माह से स्कूल बंद हैं। गार्जियंस पर फीस का दबाव है। सरकार भी पूरी तरह से खामोश है। अब बड़ा कंफ्यूजन यह है कि फीस माफ होगी या देनी पड़ेगी। प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन ने सरकार से स्पेशल पैकेज की मांग की है ताकि अभिभावकों को कुछ राहत दे सकें। ऐसे में अभिभावकों की नजर अब सरकार पर टिकी है।
अभिभावकों के सामने दोहरा टेंशन
लंगरटोली के रहने वाले मो. शमसुद्दीन की तरह बिहार के हर अभिभावक के सामने दोहरा कंफ्यूजन है। शमसुद्दीन को अपने दोनों बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता बढ़ गई है। अब कहां और कैसे पढ़ाई होगी? स्कूल के बकाया फीस का क्या होगा, कहां से जमा किया जाएगा और कैसे एडमिशन होगा? बच्चों के भविष्य के साथ अब स्कूलों की फीस का टेंशन परेशान कर रहा है। किदवई पुरी की रहने वाली रितु चौबे का कहना है कि वह काफी कंफ्यूजन में हैं। स्कूल बार-बार फीस की डिमांड कर रहा है। उनके पास पैसा नहीं है। फीस माफ होगी या देनी पड़ेगी, यह समझ में नहीं आ रहा है।
राजीवनगर की सुमन सिंह का कहना है कि सरकार स्कूलों को लेकर पूरी तरह से शांत बैठी है। कोरोना काल में पढ़ाई भी नहीं हुई और पैसा भी नहीं है। अब स्कूल की फीस और बच्चों का भविष्य, दोनों की चिंता है। सुमन सिंह का कहना है कि नए सत्र में बच्चों का स्कूल बदलना चाहती हैं, अब स्कूल बदलने देगा या नहीं, यह समझ में नहीं आ रहा है।
ऑनलाइन पढ़ाई का धोखा देकर मांग रहे फीस
मजिस्ट्रेट कॉलोनी के जय प्रकाश का कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई तो सिर्फ फीस के लिए ही की जा रही है। इससे कोई पढ़ाई नहीं हो रही है। बच्चों की आंख खराब हो रही है और आदत बिगड़ रही है। स्कूल के लिए तो बस यह फीस वसूलने का एक बहाना मात्र है। मोबाइल का नेट पैक खत्म हो जाता है, इसके बाद भी बच्चों में 50 प्रतिशत भी ज्ञान नहीं आ रहा है।
पटना में रहकर दो बच्चों की पढ़ाई करा रही केसरी नगर की नीलम का भी कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई के पीछे स्कूल की मंशा फीस वसूली की है। सरकार को कोई आदेश जारी करना होगा, जिससे अभिभावकों का कंफ्यूजन दूर हो सके।
स्कूल पैसा वसूलने की कर रहे तैयारी
एक तरफ अभिभावक अपनी आर्थिक स्थिति का हवाला देकर फीस माफ करने की मांग कर रहे हैं। दूसरी तरफ स्कूल भी सरकार से स्पेशल पैकेज की आस लगाए हैं। स्कूल बच्चों की बकाया फीस वसूलने को लेकर अपना आधार दिखा रहे हैं। बुधवार को प्रदेश के 38 जिलों के 20 हजार से अधिक स्कूलों के संचालकों से की आपसी वार्ता हुई। इसे आधार बताते प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद शमायल अहमद ने कहा कि वह सरकार के आदेश के इंतजार में हैं। स्पेशल पैकेज मिलता है तभी अभिभावक को राहत मिल सकती है। स्कूल संचालकों के पास दो ही रास्ता है, या तो फीस लिया जाए या फिर स्कूल हमेशा के लिए बंद कर दिया जाए।
स्कूलों की तरफ से बुधवार को यह भी निर्णय लिया गया है कि जिस अभिभावक की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, उन्हें राहत दी जाएगी। स्कूल बिजली का बिल माफ करने, गाड़ियों का रोड टैक्स माफ करने, गाड़ी की ईएमआई पर लगने वाले ब्याज के अलावा उनपर लगने वाले टैक्स को भी माफ करने की मांग कर रहे हैं।