Patna: राज्यसभा उपचुनाव के लिए एनडीए उम्मीदवार सुशील कुमार मोदी के खिलाफ प्रत्याशी उतारने का ऐलान कर चुके महागठबंधन में उम्मीदवार उतारना बड़ी परेशानी बन चुका है। महागठबंधन के प्रस्ताव को लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान की मां रीना पासवान ने पहले ही ठुकरा दिया था और अब राजद के नेता और पूर्व मंत्री श्याम रजक ने भी उम्मीदवार बनने से इनकार कर दिया है। हाल ही में जदयू छोड़कर राजद लौटे श्याम रजक को विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने टिकट तक नहीं दिया था। टिकट नहीं मिलने से दुखी बताए जा रहे श्याम रजक को खुश करने के लिए राजद की तरफ उन्हें राज्यसभा उपचुनाव की उम्मीदवारी देने की पेशकश की गई थी।

क्या कहा श्याम रजक ने

मीडिया ने जब श्याम रजक से संपर्क किया तो उन्होंने अपने राज्यसभा उम्मीदवार बनने की खबरों को पूरी तरह से गलत बताया। श्याम रजक ने कहा कि उनकी इस तरह की कोई इच्छा नहीं है और वे इन सब मामलों से पूरी तरह से अलग हैं। यह भी कहा कि वे मंगलवार की शाम अपने रेगुलर हेल्थ चेकअप के लिए दिल्ली जा रहे हैं।

महागठबंधन की क्या है परेशानी

महागठबंधन की सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि कांग्रेस और राजद दोनों ही दलों के नेता उम्मीदवार बनना नहीं चाह रहे। इसकी बड़ी वजह अंकगणित है जिसमें एनडीए महागठबंधन से आगे है। एनडीए के पास 125 विधायकों का साथ है तो महागठबंधन के पास 110 विधायकों का और एआईएमआईएम के 5 विधायकों के साथ कुल 115 का है। हालांकि यह अंतर काफी कम है लेकिन एनडीए में शामिल विधायकों को तोड़ पाना महागठबंधन के लिए मुश्किल काम है। लिहाजा महागठबंधन के ज्यादातर नेता संभावित हार को देखते हुए, उम्मीदवार बनने से बच रहे हैं। खबर तो यह भी है कि श्याम रजक ने ही नहीं, कांग्रेस के प्रेमचंद मिश्रा को भी महागठबंधन ने उम्मीदवार बनाने पर विचार किया, लेकिन उन्होंने भी इससे इनकार कर दिया।

दलित लेकिन धनी चेहरे की तलाश

माना यह भी जा रहा है कि महागठबंधन इस उम्मीदवारी के लिए किसी दलित चेहरे की तलाश कर रहा है। लेकिन ये दलित चेहरा, धन के मामले में मजबूत हो इसका भी खास ख्याल रखा जा रहा है, क्योंकि जाहिर है महागठबंधन को अगर जीतना है तो उसे जोड़-तोड़ करना होगा और ऐसे में धन-बल से मजबूत नेता ही पासा पलट सकता है।

लोजपा के एकमात्र विधायक पर होगी नजर

रीना पासवान की नामंजूरी से महागठबंधन को भले ही निराशा हाथ लगी हो, लेकिन महागठबंधन को लोजपा से उम्मीद अब भी बाकी है। लोजपा के पास एक विधायक हैं राजकुमार सिंह। लोजपा के इस इकलौते विधायक का वोट महागठबंधन के लिए मददगार हो सकता है अगर वो महागठबंधन की तरफ वोट करें। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में राजकुमार सिंह ने एनडीए के पक्ष में वोट किया था, लेकिन फिलहाल राजकुमार सिंह कोरोना से पीड़ित हैं, ऐसे में 14 दिसंबर को होनेवाले राज्यसभा उपचुनाव के मतदान में वे अगर नहीं भी आते हैं तो बहुत सवाल पर उनपर नहीं किये जा सकेंगे। वहीं, उनका एब्सेंट होना महागठबंधन को मदद कर जाएगा।

सुशील मोदी 2 दिसंबर को करेंगे नामांकन

उपचुनाव में एनडीए के उम्मीदवार बने सुशील कुमार मोदी 2 दिसंबर को नामांकन दाखिला करेंगे। 3 दिसंबर नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख है। ऐसे में महागठबंधन के पास अब केवल आज और कल का दिन ही बचा है।

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