Gaya: माउंटेन मैन दशरथ मांझी जब पहाड़ का सीना चीरकर गहलौर से वजीरगंज का रास्ता बना रहे थे, तब पहाड़ तोड़ने और पत्थरों को किनारे लगाने में एक नन्हीं बच्ची भी उनका हाथ बंटा रही थी, अब वह नहीं रही। लंबे समय से बीमार उनकी 70 वर्षीया पुत्री लौंगिया देवी ने आज दम तोड़ दिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लौंगिया देवी के निधन पर शोक संवेदना जतायी है।
लौंगिया देवी लंबे समय से बीमार चल रही थीं। उनका मगध मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा था। बताया जा रहा है कि एक सप्ताह पूर्व उन्हें पटना रेफर किया गया था, लेकिन उनके परिजन वापस अपने घर गहलौर लेकर चले गये थे। शुक्रवार की सुबह उन्होंने अंतिम सांसे लीं।
दशरथ मांझी की दो संतान हैं। भगीरथ और लौंगिया। गांव के लोगों के अनुसार लगातार 22 वर्षों तक पहाड़ तोड़ कर रास्ते बनाने वाले माउंटेन मैन दशरथ मांझी की कहानी जब देश-दुनिया ने जानी तो गहलौर पर्यटक स्थल जैसा हो गया। जो कोई भी जिज्ञासावश गहलौर आता, लौंगिया देवी से जरूर मिलता। पिता के साथ रही लौंगिया देवी तब लोगों को वह किस्सा बतातीं कि कैसे उनके पिता दशरथ मांझी ने असंभव को संभव बना दिया।
अब कौन सुनाएगा कहानी
लौंगिया देवी लोगों को बताती थीं कि रास्ता नहीं होने के कारण समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाने के कारण उनकी मां की मौत हो गई। उनके पिता दशरथ मांझी को इस घटना ने झकझोर दिया। ठान ली कि पहाड़ के दो टुकड़े कर देंगे। धुन के पक्के दशरथ मांझी ने आखिरकार यह कर दिखाया। 30 वर्ष पूर्व अतरी और वजीरगंज की दूरी पहाड़ी की वजह से कई किलोमीटर अधिक थी। अब दूरी सिमट गई है। अस्पताल भी उस जामने में वजीरगंज में हुआ करता था। अतरी के लोगों का बाजार भी वजीरगंज में था।