Patna: महागठबंधन की ओर से उम्मीदवार नहीं दिए जाने के बाद अब यह साफ हो गया है कि बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) का राज्यसभा चुनाव में निर्विरोध चुन लिए जाएंगे.
जाहिर है इसके साथ ही बिहार की मुख्यधारा की सियासत से भी वे उतने सक्रिय नहीं रह पाएंगे, जितने पहले रहा करते थे. बीते 15 वर्षों के नीतीश कुमार के शासन काल में कई ऐसे मौके भी आए थे जब उन्होंने सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के लिए संकट मोचक का काम किया.
जब बुधवार को सुशील मोदी राज्यसभा (Rajya Sabha By-election) चुनाव के लिए नामांकन भरा तो उस वक्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजद थे. इस मौके पर जब मीडिया ने एक सवाल पूछा तो जिसका जवाब देते हुए उनकी भावुकता साफ तौर पर उभर आई तो उनकी बेबसी भी नजर आ गई.
दरअसल, सुशील कुमार मोदी के नामांकन के बाद जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मीडिया से बात कर रहे थे तो पत्रकारों ने उनसे सवाल पूछ लिया कि क्या वे उन्हें मिस करेंगे? इस पर सीएम नीतीश ने जवाब दिया कि हमलोगों ने इतने दिनों तक साथ किया हमलोगों की क्या इच्छा थी जग तो जगजाहिर है. लेकिन हर पार्टी का अपना निर्णय होता और यह खुशी की बात है कि वह केंद्र जा रहे हैं और बिहार के विकास में अपना योगदान देते रहेंगे.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इसी बयान की बिहार की सियासत में काफी चर्चा है. दरअसल उनके इस बयान के कई मतलब हैं. देखा जाए तो इस बार भी नीतीश कुमार पर बीजेपी आलाकमान (अमित शाह-जेपी नड्डा) का काफी ज्यादा प्रेशर था, तभी उनके चाहते हुए भी नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में सुशील मोदी को जगह नहीं दी गई. बिहार में एनडीए की सरकार का नेतृत्व नीतीश कुमार कर रहे हैं, बावजूद इसके सरकार में नंबर दो की पोजीशन पर सुशील कुमार मोदी नहीं हैं. यह कहा जा रहा है कि बीजेपी के भीतर का ही एक धड़ा था, जो सुशील मोदी से नाराज चल रहा था. यही वजह रही कि बीजेपी आलाकमान ने यह फैसला किया है कि सुशील मोदी को राज्यसभा भेज दिया जाए.
केंद्र सरकार में बढ़ने वाली है भूमिका
यह कहा जा रहा है कि सुशील मोदी की भूमिका केंद्र सरकार में बढ़ने वाली है और उन्हें कोई मंत्री पद भी दिया जा सकता है. लेकिन नीतीश कुमार हमेशा यह चाहते थे कि सुशील कुमार मोदी जिस तरह नीतीश कुमार के साथ काम करते रहे, इस बार भी वह काम कर करें. लेकिन बिहार की यह सियासी जोड़ी इस बार बीजेपी के नेताओं को रास नहीं आई और नीतीश के न चाहते हुए भी तोड़ दी गई.
सुशील मोदी बिहार में नहीं, बल्कि अब केंद्र की सियासत करेंगे और वहां से बिहार पर नजर रखेंगे. वहीं नीतीश कुमार मजबूत हुई बीजेपी के साथ मजबूत विपक्ष के सामने मुख्यमंत्री की भूमिका में फिर से हैं, लेकिन उनके साथ ही सुशील मोदी उनके साथ नहीं है. शायद यही वजह रही कि नीतीश कुमार ने अपनी पीड़ा भी सरेआम जाहिर कर दी.